- १ जुलाई, १९९७ को भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री इन्द्र कुमार गुजराल के करकमलों द्वारा विज्ञान नगरी का उद्घाटन हुआ । पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री के. व्ही. रघुनाथ रेड्डी, मुख्यमंत्री श्री ज्योति बसु एवं भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री श्री एस. आर. बोम्मई भी इस समारोह में उपस्थित थे ।
दर्शकों के लिए निम्न लिखित सुविधाएँ उपलब्ध करा दी गईं
- ३६० सीटों वाला अर्धगोलाकार, झुकाहुआ, गुंबदनुमा – स्पेस थियेटर, जो एस्ट्रोव्हीज़न ७० और एच एस एस हेलिअस प्लैनेटरियम सिस्टम से लैस था।
- टाईम मशीन।
- अंतरिक्ष संबधी प्रदर्शनी।
- भौतिक और जीव विज्ञान से संबधित प्रदर्शनी – डायनामोशन।
- जीव विज्ञान कॉर्नर।
- कैक्टस कॉर्नर।
- तितली उद्यान।
- म्यूज़िकल फ़ाउन्टेन।
- कॉन्वेन्शन सेन्टर कॉम्पलेक्स।
- पिकनिक एरिया।
- विज्ञान (साइंस) पार्क।
- रोड ट्रेन।
- कैटरपिलर।
उद्घाटन से लेकर मार्च, १९९८ तक साइंस सिटी में आनेवाले दर्शकों की संख्या १२,४४,४९० दर्ज़ की गई।
- सार्वजनिक – निजी भागीदारी के मॉडल के आधार पर एक १८ मीटर ऊँचे और ४०० मीटर लंबे, पल्स्डपावर रोप वे बनाया गया ।
- ख़ास तौर पर स्कूली बच्चों के लिए विकसित किट्स और जीवित नमूनों के साथ एक क्षेत्र बनाया गया, जहाँ नन्हें-मुन्ने बच्चे मनोरंजन के साथ ज्ञानवर्धन भी कर सकें ।
- निम्न लिखित शो आयोजित किए गए
- डॉग शो
- फ़्लावर शो
- कैक्टस शो
- द्वितीय साइंस सेंटर वर्ल्ड कॉंग्रेस का आयोजन ११ से १५ जनवरी १९९९ तक विज्ञान नगरी के कन्वेन्शन सेंटर कॉम्पलेक्स में हुआ।
- दिनके कुछ निर्दिष्ट समय पर दर्शकों के लिए गाईड के साथ डायनामोशन, साइंस पार्क, और डायनासोर एन्क्लेव घूमने की व्यवस्था की गई
इस वर्ष १८,७२,६५४ दर्शक विज्ञान नगरी घूमने आए ।
४ जुलाई, २००६ केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री, श्रीमती अंबिका सोनी ने डायनामोशन तथा स्पेस ओडिसी की इमारतों नव-उन्नत प्रदर्शनियों का उद्घाटन किया।
एक ’डिजीटल पैनोरमा’ की स्थापना, जाँच एवं कमीशनिंग के कार्य की अनुमति दी गई । इसके तहत साइंस एक्स्प्लोरेशन हॉल में मानव विकास की कहानी को दर्शाया जायेगा । सम्पूर्ण हो जाने पर, यह भारत में अपनी तरह का पहला कार्य होगा।